जोगेंद्र मावी, ब्यूरो

हरिद्वार नगर निगम की ओबीसी के लिए आरक्षित हुई सीट भाजपा के लिए गले का फांस बनती नजर आ रही है। सामान्य वर्ग में तो प्रत्याशियों की लंबी सूची थी, लेकिन ओबीसी महिला हो जाने पर अब चुनिंदा नाम ही सामने रह गए हैं, क्योंकि सबसे बड़ी बात स्थानीय महिला का ओबीसी सर्टिफिकेट होना है. अधिकांश ओबीसी नेता दूसरे प्रदेशों के हैं या उनके पास ओबीसी सर्टिफिकेट के लिए पर्याप्त डॉक्यूमेंट नहीं है।

हरिद्वार नगर निगम के आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चर्चा का मुख्य विषय यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस की तरह “कठपुतली” मेयर प्रत्याशी उतारेगी या इस बार एक सक्षम, स्वतंत्र और प्रभावी महिला उम्मीदवार को मैदान में लाएगी।

पिछले कार्यकाल में भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि कांग्रेसी मेयर ने अपने पति के प्रभाव में निगम का संचालन किया, जिससे पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता पर सवाल उठे। अब यह सवाल भाजपा के सामने खड़ा है कि क्या वह इस बार एक स्वतंत्र छवि वाले उम्मीदवार को चुनेगी या वही “परिवारवादी” रणनीति अपनाएगी।

संभावित प्रत्याशी

हरिद्वार की राजनीति में दो प्रमुख नाम चर्चा में हैं:

1. किरण जैसल – वरिष्ठ भाजपा नेता सुभाष चंद्र की पत्नी और पार्षद। संगठन में उनके पति की मजबूत पकड़ है

2. मोनिका सैनी – एक तेज-तर्रार महिला नेता, जो अपनी सक्रियता और निर्भीक छवि के लिए जानी जाती हैं। पूर्व मेयर अनीता शर्मा के पति के निगम में हस्तक्षेप का उन्होंने अपने पार्षद कार्यकाल के दौरान जोरदार विरोध किया था।

भाजपा की चुनौती

भाजपा के लिए यह चुनाव केवल जीत दर्ज करने का नहीं, बल्कि अपनी छवि को भरोसेमंद और जनता के अनुकूल साबित करने का मौका भी है।

चुनाव में भाजपा की रणनीति पर यह निर्भर करेगा कि वह “परिवारवाद” से हटकर एक स्वतंत्र और कुशल नेतृत्व पेश करती है या नहीं।

आगामी घोषणा पर नजर

भाजपा ने अब तक किसी नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार पार्टी जल्द ही अपने मेयर प्रत्याशी का चयन कर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस बार जनता के विश्वास को मजबूत करने के लिए किसे उम्मीदवार बनाती है।

यह चुनाव हरिद्वार के प्रशासनिक सुधार और विकास के लिए निर्णायक हो सकता है।

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