गुर्जर समाज

जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी से गुर्जर समाज के लोगों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि पार्टी के नेता गुर्जर समाज के लोगों को केवल वोट और भीड़ जुटाने के लिए यूज करती रही है, लेकिन पार्टी में गुर्जर नेताओं की उपेक्षा की जा रही है। वे पार्टी के शीर्ष नेताओं के गलत निर्णयों से घटते जनाधार से चिंतित हैं। उनका कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेता यदि जल्द नहीं संभले तो विधानसभा—2022 में अंजाम भुगतना पड़ेगा।
उत्तराखंड में गुर्जर समाज की अच्छी खासी तादात है। गुर्जर समाज का राजनीतिक इतिहास रहा है कि उन्होंने कांग्रेस के लिए काम किया है और जनाधार बढ़ाने में महत्वपूर्ण काम किया है। रैली हो या पार्टी के लिए संघर्ष करना पड़ा हो तो गुर्जर समाज ने आगे बढ़कर काम किया है। आज भी गुर्जर समाज के लोगों की आत्मा कांग्रेस पार्टी में रचती बसती है। लेकिन अब कांग्रेस पार्टी में गुर्जर समाज के लोगों को त्वज्यो नहीं दी जा रही है। इसका कारण कुछ चाटूकार और बिना जनाधार के लोगों को त्वज्यो देना है। पार्टी में ऐसे लोगों को पद दिए जा रहे हैं जिनका कोई जनाधार नहीं है और कुछ कर्मठ नेता तो उनकी गलत नीतियों के चलते हुए पार्टी से किनारा कर बैठे हैं।
अब प्रदेश नेतृत्व बदला तो गुर्जर समाज को उम्मीद थी कि उनका भी मान सम्मान पार्टी में होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब गुर्जर समाज के लोग पार्टी से किनारा करने का मंसूबा बना चुके हैं। गुर्जर समाज के लोगों का कहना है कि वे पार्टी के लिए भीड़ जुटाने और वोट देने एवं दिलाने के लिए काम करते रहे हैं, लेकिन समाज को दरकिनार करने से पार्टी को बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा। उनका कहना है कि जल्द ही गुर्जर समाज की सभा कर निर्णय लेने को मजबूर होंगे। जिसकी जिम्मेदारी पार्टी के शीर्ष नेताओं की होगी और विधानसभा चुनाव—2022 में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
उनका कहना है कि दूसरी पार्टी से आए नेताओं को बड़े पद देकर अपनी पार्टी के कर्मठ नेताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है, लेकिन वे ऐसे छिटके हुए नेता है जिन्हें दूसरी पार्टियों से निकाला गया है।