जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। महाकुंभ क़े अवसर पर आश्रमों में भागवत् कथाओं का दौर भी शुरू हो गया है। इसी क्रम में उतरी हरिद्वार के संत आश्रम में चल रही भागवत कथा के पांचवे दिवस की कथा में आज श्रीकृष्ण जन्म की कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास अग्नि शिखा ने कहा कि श्रीमद् भागवत् कोई पुस्तक नहीं है अपितु यह साक्षात भगवान का स्वरूप है। यह भगवान का वागंमयी पुत्री है इसलिए इसे पुस्तक समझना भूल न करे वरना आप दोष के अधिकारी बनते हैं। महिला दिवस पर बोलते हुए विदुषी ने कहा हमें महिलाओं का सम्मान करना चाहिए और महिलाओं को भी मर्यादा का पालन करते हुए समाज के उत्थान के लिए कार्य करने चाहिए। उन्होंने श्रीकृष्ण के जन्म की कथा का उद्देश्य बताते हुए कहा कि श्रीराम अगर दिन है तो श्रीकृष्ण रात है। जहाँ श्री राम का चरित्र सीधा है मर्यादा से परिपूर्ण है तो कृष्ण हर जगह टेडे है वे खड़े भी टेडे है। राम यदि दिन के बारह बजे पैदा हुए तो कृष्ण रात के बारह बजे पैदा हुए श्रीकृष्ण लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते। राम सोलह कलाओं से परिपूर्ण नहीं है लेकिन श्रीकृष्ण सोलह कलाओं से परिपूर्ण है।


इस अवसर पर संत मंडल के परमाध्य्क्श राममुनि ने कहा कि श्रीकृष्ण हो या राम उन्होंने हमेशा नारी शक्ति का सम्मान किया और मनुष्यों को भी नारी को शक्ति के रूप में पूजने की प्रेरणा देते हैं। भगवान नंदनंदन द्वारा भी राधा और गोपियों को प्रेम और समान दिया गया भागवत इसका जीवंत उदाहरण है। श्रीकृष्ण जन्म बडे धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कथा के यज्ञ मान निर्मला देवी, अनुप्रिय, स्वामी शास्त्री, धर्मपाल खैर वाले, अनिता देवी, सुरेन्द्र कौर, अमनदीप कौर, सुरेन्द्र कौर, डा0 वेद प्रकाश, गीता रानी, कर्मजीत कौर, लक्षमी देवी, श्याम लाल अग्रवाल, मालती देवी आदि ने कथा श्रवण की।