ब्यूरो, उत्तराखंड
— प्रदेश के औद्योगिक संस्थानों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने के नियम को लागू कराने के लिए उद्योग विभाग की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए। इससे प्रदेश में पलायन करने वालों के साथ अन्य लोगों को रोजगार मिल सकेगा। इसके अलावा नए श्रम कानून के तहत दस से कम कर्मकार नियोजित करने वाले दुकानों एवं स्थापना को पंजीयन की आवश्यकता नहीं रह गई है। पंजीयन एक बार किया जाएगा। नवीनीकरण की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।
बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के साथ वन, सेवायोजन एवं कौशल विकास, श्रम तथा आयुष विभाग की समीक्षा की। जिसमें श्रम विभाग की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि वर्ष 2017 में उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन अधिनियम में संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत महिला कर्मकारों को भी कारखानों में तीनों पालियों में कार्य करने की छूट दी गई है। कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत कारखानों के लाइसेंस का नवीनीकरण 10 वर्ष तक किए जाने की व्यवस्था की गई है, जिससे व्यापार में सुगमता आई है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दृष्टिगत राज्य में स्थापित समस्त कारखानों को 12-12 घण्टे की दो पालियों में कार्य करने की अनुमति दी गई जिसमें 4 घंटे ओवरटाईम के रखते हुए नियमानुसार भुगतान की व्यवस्था की गई।
सेवायोजन एवं कौशल विकास की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए 25 आईटीआई को अपग्रेड करते हुए उनमें प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था के साथ ही प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों के प्रतिभा प्रदर्शन एवं प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन एवं मार्केटिंग की व्यवस्था भी किए जाने को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि समय एवं परिस्थितियों के साथ आईटीआई के स्वरूप में बदलाव लाना होगा। स्किल एवं लाइवलीहुड सेंटरों की मजबूती की दिशा में कार्य किए जाए। बैठक में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, शैलेष बगोली, डॉ. रणजीत सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
वन्य जीवों की संख्या बढ़ाने और जलसंचय के लिए पौधारोपण पर दिया जोर
हरक सिंह रावत ने बताया कि राज्य में 2006 में बाघों की संख्या 178 थी, जो 2018 तक बढ़कर 442 हो गई है। हाथियों की संख्या 2017 तक 1839 थी, जो अब बढ़कर 2026 हो गई है। उन्होंने बताया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत ढेला ‘रेस्क्यू सेेंटर’ एवं पाखरो ‘टाइगर सफारी’ की स्थापना का कार्य प्रगति पर है, गर्जिया टूरिज्म जोन की स्थापना की जा रही है। धनगढ़ी म्यूजियम का उच्चीकरण किया जा रहा है। पिछले तीन सालों में प्रतिवर्ष औसतन 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। प्रदेश में 14.77 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित है, जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना है। वर्षा जल संरक्षण की दिशा में 02 वर्षों में लगभग 68.37 करोड़ लीटर वर्षा जलसंचय की संरचनाओं का निर्माण किया गया। इस वर्ष 41.00 करोड़ लीटर जल संचय का लक्ष्य रखा गया है। जल स्रोतों को बढ़ाने के लिए काम जारी है।