जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। डीएम हरिद्वार के कार्यालय में एक बाबू लंबे समय से तैनात है, जो कि बिना रिश्वत के किसी का भी काम नहीं होने देता। उसने अधिकारियों के नाम पर रिश्वत लेने का रिकार्ड बना दिया है। ये वही बाबू है जोकि अधिकारियों को अपने इशारे पर भी नचाता है। यहां तक कि उसने कई बेनामी संपत्ति भी एकत्रित कर ली है। इस बाबू का इंतजाम पूर्व जिलाधिकारी दीपक रावत ने किया था, लेकिन उनके बाद में फिर से तैनात हो गया और आईएएस अधिकारियों को गुमराह कर बर्बाद करने में पूरा माहिर है।
कलेक्ट्रेट रोशनाबाद में एक बहुत ही पुराना बाबू तैनात है। हरिद्वार जनपद में तैनात रहे जिलाधिकारियों का यह खासमखास पैगार है। जिलाधिकारी कामेंद्र सिंह को पहली बार किसी जिले का चार्ज मिला। लेकिन इस बाबू ने उनके सीधे स्वभाव का बहुत ही इस्तेमाल किया। यानि ये कहे कि रिश्वत लेने के लिए यही बाबू अधिकारियों को प्रेरित करता रहा है तो गलत नहीं होगा। अब इस बाबू की कलम से तो फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं होते, लेकिन हर फाइल इसी की टेबिल से होकर गुजरती है तो वही किस फाइल में कितनी रिश्वत लेनी है यही फाइनल करता है। मंत्री, विधायक या किसी सामाजिक कार्यकर्ता की सिफारिश फाइल पास कराने की आ गई तो यह उस पर इतनी आपत्ति लगवा देता है कि वह फाइल आगे खिसकती नहीं है। अब जिलाधिकारी कामेंद्र सिंह नगर निगम के मुख्य प्रशासक के तौर पर तैनात थे, तो नगर निगम की ओर से भूमि खरीद की फाइल पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि फाइल पहले भी लेखपाल, तहसीलदार, एसडीएम, नगर आयुक्त के द्वारा जांच की हुई थी, तो साइन कराने में यह बाबू भी दोषी साबित होगा।
संपत्ति की हो जांच
सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सैनी ने बताया कि इस बाबू ने अधिकारियों के नाम पर रिश्वत लेकर तमाम बैनामी संपत्ति बना ली है। एक प्रॉपटी डीलर ने बताया कि यह बाबू प्लॉट या कृषि भूमि खरीदते समय सौदा तक नहीं करता, मुंह मांगा रेट बेचने वाले को देकर अपने रिश्तेदारों के नाम पर भूमि खरीदकर तत्काल रजिस्ट्री करा लेता है। हालांकि रिश्वत खा—खाकर इस बाबू का हाजमा इतना खराब हो गया है कि इसे कई बीमारी भी हो गई है।