जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। नगर निगम हरिद्वार में भूमि खरीद फरोख्त में हुए घोटाले के मामले में हरिद्वार के संत महामंडलेश्वरों ने निष्पक्ष जांच कर मुख्य अधिकारी को बचाने पर सवाल उठाएं। प्राचीन अवधूत मंडल के महंत महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की और पूरे प्रकरण में मुख्य नगर आयुक्त की भूमिका को महत्वपूर्ण बताकर उन पर कार्रवाई की मांग की। महामंडलेश्वर ने मुख्य नगर आयुक्त और किसानों पर एफआईआर दर्ज कराकर उनके खातों जांच और निकाले गए रुपये कहां प्रयोग हुए आदि की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि नगर निगम की एक भूमि भूपतवाला में हैं, जहां पर 50 हजार रुपये महीना किराया आता है, वहां एक दुकान को मात्र 8 हजार रुपये में किराए पर दे दिया गया।
महामंडलेश्वर ने उठाए सवाल
महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने सवाल उठाए है कि मामले में मुख्य नगर आयुक्त और प्रशासक की भूमिका की जांच होनी चाहिए। विक्रेता के खातों की जांच कर असली गुनहगार सामने आ सकता है। 15 दिन में 143 कैसे हो गई, जबकि एक प्रमाण पत्र बनवाने में एक महीने से अधिक का समय लग जाता है। उन्होंने सभी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की।
उन्होंने कहा कि जब पत्रकारों ने खबर चलाई तो उनकी आवाज दबाने के लिए उन्हें नोटिस जारी कर और पत्रकार वार्ता कर उनपर एफआईआर दर्ज कराने की धमकी तक दी। उन्होंने मुख्य नगर आयुक्त वरुण चौधरी को सलाह दी कि उन्हें राजनीति अच्छी आती है, वे नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान में उतरे और खूब पत्रकार वार्ता करें। उन्होंने नगर निगम के भ्रष्टाचार का खुलासा करने पर वरिष्ठ पत्रकार नरेश गुप्ता का पटका पहनाकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यदि पत्रकारों पर कोई आंच आई तो पूरे संत—महंत उनके साथ खड़े होंगे।

ये है पूरा मामला
नगर निगम हरिद्वार की ओर से सराय में भूमि खरीदी गई। भूमि खरीद फरोख्त में बड़ा घोटाला हुआ। भूमि खरीदने से पहले भूमि लैंडयूज बदला गया। 16 अक्टूबर 2024 के अन्तर्गत खाता सं0 75 खसरा सं० 121 क्षेत्रफल 0.5230 हैक्टेयर भूमि स्थित सराय परगना ज्वालापुर तहसील व जिला हरिद्वार को अपने व्यवसायिक प्रयोजन हेतु ज०वि०अधिनियम की धारा 143 के अन्तर्गत अकृषिक घोषित किया जाता है। इसी प्रकार अन्य खसरा नंबर 99/1, 122/4 को अकृषि किया गया। इसमें खसरा संख्या 96/1 को अकृषि नहीं किया गया, लेकिन उसे भी 6510 रुपये मीटर के हिसाब से खरीदा गया। उसमें 0.3794 हैक्टेअर भूमि के तौर पर खरीदा गया।
कुल भूमि 23,004 वर्ग मीटर खरीदी गई, जोकि प्रति बीघा 666.66 मीटर के हिसाब से 34.51 बीघा बैठती है। यह भूमि 53 करोड़ 06 लाख, 96 हजार 565 रुपये की नगद में खरीदी और 5 प्रतिशत के हिसाब से करीब 2 करोड़ 70 लाख रुपये का स्टाम्प और एक लाख रुपये की चार रसीद कटवाई गई। 4 रजिस्ट्री की लिखाई 12 हजार रुपये होती है। 55 करोड़ 77 लाख 96 हजार 655 रुपये की होती है।
पूरे मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच बैठाकर वरिष्ठ आईएएस रणवीर सिंह चौहान को नियुक्त किया। मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में नगर निगम हरिद्वार द्वारा सराय स्थित भूमि को क्रय किये जाने के प्रकरण में दोषी पाए गए अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की गई है। इस प्रकरण में 4 अधिकारियों को निलम्बित किया गया है। एक कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिये गए हैं जबकि एक अधिकारी का स्पष्टीकरण तलब किया गया है।


नगर आयुक्त, नगर निगम, हरिद्वार द्वारा उपलब्ध करायी गयी आख्या में प्रथमदृष्टया गंभीर अनियमितता पाए जाने पर प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए रणवीर सिंह चौहान, सचिव, गन्ना चीनी, उत्तराखण्ड शासन को जांच अधिकारी नामित किया गया है। जांच में पाया गया है कि उक्त भूमि को क्रय किये जाने हेतु गठित समिति के सदस्य के रूप में रवीन्द्र कुमार दयाल, अधिशासी अधिकारी श्रेणी-2 (प्रभारी सहायक नगर आयुक्त), नगर निगम, हरिद्वार, आनन्द सिंह मिश्रवाण, सहायक अभियन्ता (प्रभारी अधिशासी अभियन्ता), नगर निगम, हरिद्वार, लक्ष्मीकांत भट्ट, कर एवं राजस्व अधीक्षक, नगर निगम, हरिद्वार और दिनेश चन्द्र काण्डपाल, अवर अभियन्ता, नगर निगम, हरिद्वार द्वारा अपने दायित्वों का सम्यक् रूप से निर्वहन नहीं किया गया है। इस पर इन सभी अधिकारियों को निलम्बित कर दिया गया है। इस प्रकरण में सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त सम्पत्ति लिपिक वेदपाल की संलिप्तता पायी गयी है। उनका सेवा विस्तार समाप्त करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश देने के साथ ही निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम, हरिद्वार का स्पष्टीकरण तलब किया गया है।