जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
निर्माणों को अवैध बताकर मालिकों से अवैध वसूली का गोरखधंधा पूरे देश में चल रहा है। आरटीआई से सरकारी विभागों में हुए घोटाला निकालने का काम चला, लेकिन यह काम धंधा बनकर रह गया। ऐसे ही एक ब्लैकमेलर पूर्व पार्षद का मामला आया है। पूर्व पार्षद कमल मित्तल और उसके साथियों द्वारा शहर के 25 से ज्यादा व्यापारियों को आरटीआई, जीएसटी और इनकम टैक्स विभाग में शिकायत देकर ब्लैकमेल करने का आरोप भी सामने आया है।
कैथल के पूर्व पार्षद कमल मित्तल को एंटी करप्शन ब्यूरो टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि कमल मित्तल व्यापारियों को प्रशासनिक कार्रवाई और आरटीआई के नाम पर ब्लैकमेल कर रहा था। कमल मित्तल ने एक कपड़ों के शोरूम के मालिक को धमकाया कि उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर शोरूम को सील करवा देगा।
शिकायत को बंद करवाने के बदले उसने डीसी के नाम पर 9 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 5 लाख पहले ही ले चुका था। शनिवार को कमेटी चौक स्थित मार्केट में कमल मित्तल जैसे ही 4 लाख रुपये की अंतिम किश्त लेने पहुंचा, एसीबी टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
व्यापारियों को बनाता था निशाना
कमल मित्तल और उसके साथियों द्वारा शहर के 25 से ज्यादा व्यापारियों को आरटीआई, जीएसटी और इनकम टैक्स विभाग में शिकायत देकर ब्लैकमेल करने का आरोप भी सामने आया है।
एसीबी ने घर ली तलाशी
गिरफ्तारी के बाद एसीबी टीम आरोपी के घर भी पहुंची और तलाशी अभियान चलाया गया। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान कई अहम दस्तावेज और सबूत मिलने की संभावना है।


बड़े डॉक्टर और व्यापारियों को बनाता था निशाना
कमल मित्तल ने 2005 में पार्षद का चुनाव लड़ा था। सेक्टर-19 में वार्ड 10 से पार्षद चुना गया था। उस समय कांग्रेस की सरकार थी। इसके बाद वह चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन तभी से वह सरकारी कार्यप्रणाली जान चुका था कि यहां कैसे काम होता है और कैसे लोगों से वसूली की जाती है। आरोपी ने आरटीआई और सीएम विंडो पर शिकायतें करके और समझौता करने की एवज में रुपए लेने का धंधा बना रखा था। यह भी सामने आया है कि डॉक्टर, व्यापारी, मिष्ठान भंडार संचालक, मार्बल विक्रेता व बड़े दुकानदारों के खिलाफ शिकायतें और आरटीआई लगाई हुई थी। आरोपी कई लोगों से करीब 25 लाख रुपये हड़प चुका था।
व्यापारी बोला- बार-बार शिकायत दे रहा था आरोपी
व्यापारी संदीप गर्ग ने बताया कि पुराने बस स्टैंड के पास उसकी जमीन है, जिस पर बिल्डिंग बनाई थी। आरोपी ने शिकायत कर बिल्डिंग को सील करवा दिया था। इसके लिए उसे कई दिन सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़े, कुछ कागज भी तैयार कराए, लेकिन मामला उलझता ही रहा। बिल्डिंग बनाने में उसका काफी रुपया खर्च हो गया था। वह बिल्डिंग को शुरू करने ही जा रहा था कि उसे सील करा दिया। इसके बाद कमल मित्तल से उससे संपर्क साधा। उसने 5.20 लाख लेकर सील को खुलवा दिया। इसके बाद भी आरोपी ने आरटीआई और सीएम विंडो पर उसकी शिकायत कर दी और डीसी के नाम पर 4 लाख रुपए और मांगे। इसके बाद उसने एसीबी को मामले की जानकारी दी। टीम ने उसे 4 लाख रुपये देकर कमल के बताए होटल में भेज दिया। जैसे ही उसने रुपए कमल को थमाए, टीम ने उसे दबोच लिया।

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