ब्यूरो
भेल हरिद्वार और केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियन व स्वतंत्र फेडरेशनों का प्रदर्शन लगातार जारी है। उन्होंने बृहस्पतिवार को यूनियनों के आह्वान पर पूरे देश में की जा रही एक दिवसीय आम हड़ताल को सफल बनाने के लिए भेल हरिद्वार की 10 यूनियनों के पदाधिकारी एक मंच पर आ गए। जिसमें इंटक (हीप व सीएफएफपी), एटक (हीप व सीएफएफपी), एचएमएस (हीप व सीएफएफपी), सीटू, बीएमटीयू, बीकेयूएम, बीकेकेएमएस के पदाधिकारी और सदस्यों ने समर्थन करते हुए हड़ताल की। उन्होंने एकत्रित होकर भेल के फाउंड्री गेट पर प्रदर्शन किया गया। हड़ताल का नेतृत्व कर रहे इंटक (हीप) के महामंत्री राजबीर सिंह ने कहा कि जब तक उनकी मांगों को स्वीकार नहीं जाता उनका आंदोलन जारी रहेगा।
प्रदर्शन में यह रहे शामिल
एचएमएस (हीप) के उपाध्यक्ष प्रेमचंद सिमरा, एटक (हीप) के महामंत्री सन्दीप चौधरी, एटक के केन्द्रीय नेता एवं सीएफएफपी के अध्यक्ष एके दास, बीएमटीयू के महामंत्री अवधेश कुमार, सीटू के महामंत्री के एस गुसाई, बीयूकेएम के अध्यक्ष रितेश सिंहल, इंटक (सीएफएफपी) के महामंत्री केपी सिंह, एटक (सीएफएफपी) के अध्यक्ष आईडी पंत, एटक (हीप) के अध्यक्ष मनमोहन कुमार, एचएमएस के राधेश्याम सिंह, सीटू के सुरेन्द्र कुमार, बीएमटीयू के अध्यक्ष नीशू कुमार, रवि प्रताप राय, सचिन चौहान, अश्वनी चौहान, नईम खान, इमतियाज, सुनील कुमार, अजित सिंह, दीपक कुमार, सुनील कुमार, पवन कुमार, आदि उपस्थित रहे।
हडताल में मुख्य मांगे निम्नलिखित
भेल प्रबंधन से लंबे समय से चली आ रही हैं ये मांगें
— श्रमिकों के वेतन में से 50 प्रतिशत पर्क्स कटौती को शीघ्र बंद किया जाए तथा एरियर सहित 100 प्रतिशत पर्क्स का भुगतान किया जाए।
— इंसेटिव स्कीम को शीघ्र लागू किया जाए।
— लैपटॉप प्रतिपूर्ति को बहाल किया जाए।
— 2019-20 के बोनस व एसआईपी एवं पीपीपी का भुगतान जल्द किया जाए।
— कैंटीन एवं ट्रांसपोर्ट सब्सिडी को खत्म करने के प्रस्ताव को निरस्त किया जाए।
— 01 करोड का टर्म इंश्योरेंस शीघ्र लागू किया जाए।
— समस्त पे-अनामली को शीघ्र दूर किया जाए।
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केंद्र सरकार से यह हैं मांगे
— सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियो के मोनेटाईजेशन पर रोक लगायी जाये।
— केन्द्र एवं राज्य सरकारो मे रिक्त पदो पर शीघ्र भर्ती की जाए।
— बोनस एवं प्रोविडेन्ट फंड की अदायिगी पर सभी बाध्यता सीमा हटाई जाए।
— सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेशीकरण/निजीकरण पर रोक लगायी जाए।
— मजदूर विरोधी श्रम संहिताओ को वापस लिया जाए।
— समय से पूर्व सेवानिवृति के उत्पीडनमय आदेश को वापिस लिया जाए।
— सभी के लिए पेंशन लागू की जाये तथा ईपीएस पेंशन मे सुधार किया जाए।
— न्यूनतम वेतन 21000 रुपये शीघ्र घोषित किया जाए।