ब्यूरो, हरिद्वार
हरकी पैड़ी पर सौंदर्यीकरण के काम चलने के दौरान खुदाई में पुरानी पैड़ियां सामने आई तो उनपर शब्दों के लिखे होने से लोग आश्चर्य में पड़ गए। वहां पर पुरोहितों ने धुलाई की देखा कि किसी पुरानी लिपि में शब्द खोदकर लिखे हुए हैं। भाषा तो समझ में नहीं आई, लेकिन हरकी पैड़ी का इतिहास सामने आ गया। जानकारी मिलते ही पुलिस प्रशासन के साथ मेला के अधिकारी हरकी पैड़ी पहुंचे और सीढ़ियों पर लिखे हुए शब्दों को समझने का प्रयास किया। अंदाजा लगाया गया कि यह राजा मानसिंह के कार्यकाल में लिखी होगी या अन्य किसी शासक के समय में। इसकी जानकारी तो जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ ही लगा सकेंगे। लेकिन फिलहाल उस स्थान पर सौंदर्यीकरण का काम रुकवा दिया गया। मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि मामले की विशेषज्ञों से जानकारी कराएंगे।
पुरानी लिपि मिलते ही याद आने लगी पौराणिक कथाएं
हरकी पैड़ी पर सौंदर्यीकरण के काम चलने के दौरान जब पत्थरों पर पुरानी लिपि लिखी हुई मिली तो हरकी पैड़ी की पौराणिक कथाएं याद आने लगी। तीर्थ पुरोहितों की माने तो यहां पर भगवान श्री हरी के चरणों के निशान पत्थरों पर मिले थे। इसके बाद इस स्थान को हरकी पैड़ी का नाम दिया गया। बताते हैं कि भगवान हरि शिवालिक पर्वत से नीचे उतरकर गंगा स्नान के लिए आए थे। दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए भगवान विश्वकर्मा यहां से निकले तो अमृत की कुछ बूंदे यहां पर गिर गई और पवित्र स्थान होने के चलते हुए नाम हरकी पैड़ी दे दिया गया।