जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। आश्रमों को कब्जवाने में विशेष भूमिका पुलिस के दूसरे नंबर के अधिकारी की है। यही नहीं, ये अधिकारी विवादित प्रॉपर्टीज पर कब्जा कराने का माहिर माना जाता है। इसे कोर्ट के फैसलों पर भी विश्वास नहीं है। ये होटलों से लेकर अवैध धंधेबाजों से महीना लेता है। यहां तक की अवैध खनन करने वालों से भी हिस्सा लेता है। यहां तक रेलवे स्टेशन के सामने जिस्मफरोशी करने वाली महिलाओं से वसूली के प्रकरण में भी नाम खूब उछला।
हरिद्वार पुलिस में इस दूसरी सीट के अधिकारी को सभी भाली भांति जानते हैं। सूरत से भोला भाला नजर आता है। लेकिन लंबे समय से कुर्सी पर काबिज होकर अपने फर्ज को निभाने का एक भी काम ऐसा नहीं जोकि उनकी उपलब्धि में शामिल हो जाए। पीड़ितों को न्याय दिलाने तो उनके खून में शामिल नहीं है, बल्कि पीड़ितों को सताने वाले बदमाशों की रखैल बने हुए हैं। क्योंकि पीड़ित पक्ष की नजर में तो इनकी कोई भूमिका नहीं होती है, वे तो सीधे कोतवाल या एसएसपी के पास न्याय की गुहार लेकर जाते हैं।
अब इनकी जेब कैसे भरे, कैसे जल्द करोड़पति बनें, इसके लिए इन्होंने पीड़ितों को सताने वालों का पक्ष रखना शुरू किया। ये क्रॉस मुकदमा दर्ज कराकर पीड़ितों पर फैसला कराने का दवाब बनाते हैं। अपने पद का दुरूपयोग कर अधिनस्थों पर रौब गालिब कर पीड़ितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना इनकी आदत में शामिल हो गया है।
इस अधिकारी का अवैध खनन करने वालों से वसूली का काम हो या शहर में चल रहे अवैध काम, सभी से ठोककर महीना लेता है।
इस अधिकारी का एक प्रकरण खूब उछला, ये हरिद्वार रेलवे स्टेशन के सामने जिस्मफरोशी करने वाली महिलाओं से वसूली में खूब नाम उछला। कूछ न मिलने पर अपनी पौल खुलने पर मामले को दूसरे रूप में प्रसारित कराया, लेकिन इस अधिकारी की टुच्ची करतूतों से उच्च अधिकारियों के साथ अधिनस्थ भी परेशान है। हालांकि अब इनका आका सेवानिवृत्त हो चुके हैं, देखना है कि कितने दिन कुर्सी पर विराजमान रहते हैं।
कुछ पीड़ित लोग एकत्रित होकर इनके कारनामों की सूची तैयार कर इनके खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करेंगे।