जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
सात साल की बेटी से सामूहिक दुष्कर्म के दोषी हल्द्वानी के कार्डियोलॉजिस्ट और उसके भाई को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों भाई 2.3 लाख रुपये के जुर्माने से भी दंडित हुए।
विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट तृतीय) विनोद कुमार-VI की अदालत ने हल्द्वानी निवासी एक कार्डियोलाजिस्ट और उसके भाई को सात वर्षीय बेटी से सामूहिक दुष्कर्म का दोषी पाया है। अदालत ने दोनों भाइयों को आजीवन कारावास की सजा और दो लाख तीन हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। जुर्माने की धनराशि पीड़िता को देने का आदेश अदालत ने दिया है।
अदालत ने कहा कि पिता के ऊपर संतान की रक्षा का दायित्व होता है। पिता की भूमिका समाज में संतान के रक्षक की होती है। यदि रक्षक ही भक्षक बन जाएगा तो समाज में व्यक्तियों का रिश्तों से विश्वास उठ जाएगा।
अभियोजन के अनुसार, कार्डियोलॉजिस्ट का हल्द्वानी में नर्सिंगहोम है। उसका बड़ा भाई उसके नर्सिंगहोम की देखरेख करता था। पीड़िता की मां डॉक्टर हैं। उन्होंने लंका थाने में छह सितंबर 2019 को अपनी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में अपने पति और उसके बड़े भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िता की मां के अनुसार वह एक साल से अपनी सात वर्षीय बेटी के साथ अपने पिता के बीएचयू कैंपस स्थित घर रही थी।
23 मार्च 2018 को उनकी बेटी को उनका कार्डियोलाॅजिस्ट पति अपने साथ हल्द्वानी ले गया। उनकी बेटी को उसका पति घर न ले जाकर हल्द्वानी स्थित अपने नर्सिंग होम ले गया। उनकी बेटी अपने पिता के साथ रहने के दौरान फोन करने पर डरी-सहमी प्रतीत होती थी और बनारस आने को कहती थी। 30 मार्च 2018 को उनके पति ने फोन कर कहा कि अपनी बच्ची को ले जाओ, उसे अब नहीं रखूंगा।
उनकी बेटी वापस ननिहाल आई तो बहुत डरी रहती थी और अचानक हाथ-पांव पटकने लगती थी। बहुत पूछने पर उसने एक दिन बताया कि उसके पिता उसके साथ अजनबी जैसा बर्ताव करते हुए बैड टच करते थे। एक दिन पापा और ताऊ कुछ पी रहे थे। कुछ देर बाद उसके पापा उसे एक वीडियो दिखाए। उसके ताऊ ने उसका हाथ पकड़ लिया और पिता ने निर्वस्त्र कर दिया।
इसके बाद पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया। ऐसे ही एक दिन नौकरानी काम करने नहीं आई थी, उस दिन भी उसके पिता ने उसके साथ वही करतूत दोहराई। चीखने पर उसके पिता ने उसे बहुत मारा। मासूम बच्ची की मां ने कहा कि उनकी बेटी ने कहा है कि पापा बहुत गंदे हैं और वह अब कभी उनके पास नहीं जाएगी।
अभियोजन के अधिवक्ता वरुण प्रताप सिंह ने बताया कि दोनों अभियुक्तों के खिलाफ 12 गवाह परीक्षित कराए गए। अदालत ने पीड़िता के बयान, उपलब्ध साक्ष्य और पत्रावली के आधार पर दोनों भाइयों को सामूहिक दुष्कर्म का दोषी पाया और उन्हें सजा सुनाई।
