जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। मेयर किरण जैसल के एक प्रहार से भ्रष्टाचार करने वाले धराशायी हो गए। उनके द्वारा उठाए गए घोटाले की गूंज और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा की गई कार्रवाई से उनकी हर कोई सराहना कर रहा है। यही नहीं, मेयर किरण जैसल शहर की व्यवस्था को भी चॉक चौबंद करने में लगी हुई हैं। उनका उद्देश्य है कि जिस जनता ने उन्हें चुना है उनकी हर उम्मीद पर खरा उतरे।
नगर निगम के प्रशासक रहे एमएनए वरुण चौधरी ने करीब 15 करोड़ की भूमि को करीब 55 करोड़ रुपये में खरीद लिया। यह भूमि उस समय में खरीदी गई, जब कोई जनप्रतिनिधि बोर्ड में नहीं था। अधिकारियों ने इसी का फायदा उठाते हुए नगर निगम की धनराशि का बंदरबांट कर दिया। जैसे ही बोर्ड निवार्चित हुआ और भाजपा की मेयर किरण जैसल ने चार्ज संभाला तो मामला उनके सामने आया। बोर्ड बैठक में भी मामला उठा तो मेयर किरण जैसल ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने मामले में जांच बैठवाई और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पूरे मामले से अवगत कराया। उन्होंने पूरे मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल जांच सीनियर आईएएस रणवीर सिंह चौहान को सौंपी। उन्होंने निष्पक्ष जांच करते हुए अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी और मामले में बड़ी कार्रवाई हुई। दो आईएएस, एक पीसीएस के साथ कई अधिकारी और कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई हुई। सहायक नगर आयुक्त रविंद्र दयाल को तो बर्खास्त ही कर दिया गया।
जैसे ही धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई हुई तो मेयर किरण जैसल की वाहवाही शुरू हो गई। मेयर किरण जैसल का कहना है कि जनता से जिस उम्मीद से चुना है उसपर खरा उतरेंगी। विभाग में भ्रष्टाचार नहीं होगा, बल्कि पादर्शिता के साथ काम होंगे।
जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई, वे हैं:
कर्मेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी (डीएम), हरिद्वार: भूमि क्रय की अनुमति देने और प्रशासनिक स्वीकृति देने में उनकी भूमिका संदेहास्पद पाई गई।
वरुण चौधरी, पूर्व नगर आयुक्त, हरिद्वार: उन्होंने बिना उचित प्रक्रिया के भूमि क्रय प्रस्ताव पारित किया और वित्तीय अनियमितताओं में प्रमुख भूमिका निभाई।
अजयवीर सिंह, एसडीएम: जमीन के निरीक्षण और सत्यापन की प्रक्रिया में घोर लापरवाही बरती गई, जिससे गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंची।
इन तीनों अधिकारियों को वर्तमान पद से हटाया गया है और शासन स्तर पर आगे की विभागीय और दंडात्मक कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। यह केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री की शून्य सहनशीलता की नीति का स्पष्ट प्रमाण है। इसके साथ ही निकिता बिष्ट (वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार), विक्की (वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक), राजेश कुमार (रजिस्ट्रार कानूनगों), कमलदास (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार को भी जमीन घोटाले में संदिग्ध पाए जाने पर तुरंत प्रभाव से निलंबित किया है।
पहले हुई कार्रवाई
जांच अधिकारी नामित करने के बाद इस घोटाले में नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट व अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया था। संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार भी समाप्त कर दिया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सेवा विस्तार दिया गया था। उनके खिलाफ सिविल सर्विसेज रेगुलेशन के अनुच्छेद 351(ए) के प्रावधानों के तहत अनुशासनिक कार्रवाई के लिए नगर आयुक्त को निर्देश दिए गए थे।
अब तीनों अधिकारी यहां करेंगे बाबूगिरी
तीनों अधिकारी निलंबन अवधि में सचिव—कार्मिक एवं सतर्कता विभाग, उत्तराखंड शासन के कार्यालय में संबद्ध रहेंगे। वरुण चौधरी के विरूदृध अनुशासनिक कार्यवाही हेतु आरोप—पत्र निर्गत किए जाने एवं जांच अधिकारी नियुक्त किए जाने के संबंध में पृथक से कार्यवाही की जाएगी।
अब बताओ वरूण चौधरी, किस पर करोगे मुकदमा
आईएएस वरुण चौधरी ने नगर निगम में भूमि खरीद फरोख्त घोटाले की खबर प्रकाशित करने वाले पत्रकारों पर मानहानि का मुकदमा ठोकने की धमकी दी थी। लेकिन बाद में जब परत दर परत उनके कारनामों का खुलासा हुआ और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच बैठाई तो ये अधिकारी किस बिल मे घुसकर बैठ गया, पता ही नहीं चला। इसी अधिकारी ने नगर निगम में हरकी पैडी पर दीपक जलाने वाले तेल के साथ दुकान आवंटित करने में भी भारी भरकम घोटाला किया था, उसकी भी जांच अब होगी।
