जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
वर्ल्ड कप—2023 के बीच इंटरनेशनल क्रिकेट खिलाड़ी एवं पूर्व कप्तान का निधन होने से करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को सदमा पहुंचा है। भारत के पूर्व दिग्गज स्पिन गेंदबाज बिशन सिंह बेदी का निधन हो गया है। बिशन सिंह ने 77 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। 1970 के दशक में अपनी घूमती गेंदों से बल्लेबाजों को हैरान करने वाले बिशन सिंह ने 22 इंटनरेशनल मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की। उन्होंने पाकिस्तान से मैच खेलते समय बीच में ही टीम वापिस बुला ली थी, इससे उनकी पूरे विश्व में बड़ी किरकिरी हुई थी। उनका इंटरनेशनल करियर 12 साल का रहा और उन्होंने कई मैचों में भारत को यादगार जीत दिलाई।
मशहूर स्पिनर चौकड़ी का थे हिस्सा बेदी ने भारत के लिए 1966 से 1979 तक टेस्ट क्रिकेट खेला था। वह भारत की मशहूर स्पिन चौकड़ी का हिस्सा रहे हैं। उनके अलावा इसमें इरापल्ली प्रसन्ना, श्रीनिवास वेंकटराघवन और भागवत चंद्रशेखर थे। चारों ने मिलकर 231 टेस्ट खेले और 853 विकेट हासिल किए।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
बेदी ने 1969–70 में कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक पारी में 98 रन देकर सात विकेट लिए थे। यह एक पारी में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। वहीं, मैच की बात करें तो 1977–78 में पर्थ के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 194 रन देकर कुल 10 विकेट झटके थे। उन्होंने टेस्ट में इकलौता अर्धशतक 1976 में कानपुर टेस्ट में न्यूजीलैंड के खिलाफ लगाया था।
भारतीय टीम की कप्तानी भी की थी
बिशन सिंह बेदी को भारतीय टीम की कप्तानी करने का भी मौका मिला था। उन्हें 1976 में यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बेदी को महान क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी की जगह कप्तान बनाया गया था। बतौर कप्तान उन्हें पहली जीत वेस्टइंडीज के खिलाफ पोर्ट ऑफ स्पेन में 1976 के दौरे पर मिली थी। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर टेस्ट सीरीज में 3-1, ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट सीरीज में 3-2 और पाकिस्तान दौरे पर टेस्ट सीरीज 2-0 से मिली हार के बाद उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया था। उनके बाद सुनील गावस्कर कप्तान बने थे।
भारत के लिए 67 टेस्ट मैच में उन्होंने 266 विकेट लिए। उन्होंने 15 बार पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा किया और एक बार मैच में 10 विकेट भी लिए। वहीं, 10 वनडे मैच में उन्होंने सात विकेट झटके।
भारतीय टीम का वह स्पिन गेंदबाज जो अपनी एक ही गेंदबाजी एक्शन से चार तरह की गेंदें फेंक लिया करता था। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर कहे जाने वाले शेन वॉर्न भी उन्हें अपने आदर्श मानते थे। 1970 के दशक में टीम इंडिया की स्पिन की जान कहलाने वाले जादुई स्पिनर और पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी का 77 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
बेदी ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज 1966 में वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था। वह करीब 12 साल तक भारत के लिए खेले। इस दौरान उन्होंने अपनी गेंदबाजी ही नहीं बतौर कप्तान भी खूब नाम कमाया। 67 टेस्ट मैच उनके नाम 266 विकेट दर्ज हैं। उन्होंने 22 टेस्ट मैच में भारतीय टीम की कमान भी संभाली। बिशन सिंह बेदी ने अपना प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर 1560 विकेट के साथ समाप्त किया था, जो कि एक रिकॉर्ड है।

पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी— फाइल फोटो

रामचंद्रा गुहा ने बताया था कि बेदी ने पहली बार टेस्ट मैच तभी देखा, जब उन्होंने अपन टेस्ट डेब्यू किया था। इससे पहले उन्होंने टेस्ट मैच कभी नहीं देखा था। बिशन सिंह बेदी के कई किस्से मशहूर हैं। आइए जानते हैं।
बात साल 1989-90 की है। उस समय बेदी न्यूजीलैंड दौरे पर बतौर टीम इंडिया के मैनेजर बनकर गए थे। जहां रॉथमैंस कप में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया से हार झेलनी पड़ी थी। इस हार के बाद बेदी टीम इंडिया पर बेहद ही गुस्सा थे। उस वक्त उन्होंने कहा था कि पूरी टीम इंडिया को प्रशांत महासागर में डुबो देना चाहिए। 1990 में भारतीय टीम वापस भारत लौट रही थी। उन्होंने उस वक्त पूरी टीम इंडिया को समंदर में फेंकने की धमकी दी थी।
बेदी ने एक बार किसी इंटरव्यू में कहा था कि उनकी गेंदबाजी की ताकत उनकी अंगुलियां थीं। यही वजह है कि वह अपनी अंगुलियों को मजबूत बनाने और कलाई को लचीला बनाने के लिए अपने कपड़े खुद धोया करते थे। इससे उनकी अंगुलियों को ताकत मिलती और गेंद को अंगुलियों में फंसाकर घुमाना आसान होता जाता था।
साल 1978 में पाकिस्तान के साहिवाल में बेदी के गुस्से की वजह से टीम इंडिया को हार झेलनी पड़ी थी। दरअसल मैच में भारत को जीत के लिए 18 गेंदों में 23 रन बनाने थे और उसके आठ विकेट बचे हुए थे। इस मैच में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज सरफराज नवाज ने लागातर चार बाउंसर फेंकी और किसी भी गेंद को अंपायर ने वाइड नहीं दिया। यह देख बेदी भड़क गए और उन्होंने अपने बल्लेबाजों को मैदान से वापस बुला लिया। बेदी के इस फैसले के बाद पाकिस्तान यह मैच जीत गया। इसे लेकर बेदी की काफी आलोचना भी तब हुई थी।
बिशन सिंह बेदी जैसा खिलाड़ी परिश्रम, साधना और पक्के इरादे से मिलकर बनता है। उनके बारे में तो यह तक कहा जाता है कि वह होटल या रेस्तरां में जाकर खाना खाने वालों में से नहीं थे और न ही किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते थे। उन्हें घर का बना खाना ही रास आता था।
बेदी ने घरेलू क्रिकेट से अपने खेल की शुरुआती की थी। उत्तरी पंजाब के लिए पहली बार तब खेला था जब वह केवल 15 साल के थे। 1968–69 में वह दिल्ली की तरफ से खेलने लगे थे और 1974–75 सत्र में उन्होंने रणजी ट्राफी में रिकॉर्ड 64 विकेट लिए थे। बेदी गेंद को फ्लाइट कराने में लाजवाब थे। बेदी पूरे दिन लय और संतुलन के साथ गेंदबाजी कर सकते थे। वह बेजान पिचों पर भी गेंद को घुमाने की क्षमता रखते थे।

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