ब्यूरो, रिपोर्ट

DGP बनने के बाद रविवार को पहली बार अपने जन्मस्थान कुराना, पानीपत पहुंचा। गांव पहुंचने पर गांव के लोगों ने जो भव्य स्वागत किया और मुझे पगड़ी पहनाई इससे खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस किया। उनका प्यार ही है, जो वे लोग गांव से लगभग 3 किमी दूर ही अहर-कुराना चौक पर फूलों से सजी खुली जीप लेकर पहुँच गए। मेरे मना करने के बावजूद मुझे गाड़ी में बैठा लिया। कूहू और शाश्वत को यह सब बहुत ही अच्छा लग रहा था।

गांव का वह पैतृक घर, जहां पैदा हुआ, बड़ा हुआ उसके एक-एक कमरे में गया, तो सारी पुरानी यादें ताजा हो गयी। घर की छत पर गया जहां हम खुले में सोते थे, वहां से अलकनन्दा के साथ सूर्यास्त देखा। पितृस्थल पर भी पूजा की। घर अब काफी जर्जर हो गया है, उसे भी ठीक कराऊँगा। गांव की वो गालियां जहां से रोजाना गुजरते थे, वो ट्यूबवेल जहां पानी पीते थे वो सब एकाएक आंखों के सामने आ गया। मेरे स्वर्गीय पिता जी के दोस्त शेरसिंह भी मिले उनका भी सम्मान किया और आशीर्वाद लिया।

जिंदगी में आगे बढ़ाने के लिए शिक्षक पहली सीढ़ी होते हैं मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसे शिक्षक मिले जिन्होंने मुझे सही रास्ता दिखाकर मेरा मार्गदर्शन किया। अपने उस स्कूल जहां से मैने 5वीं से 10वीं तक की शिक्षा ग्रहण की थी वहां पहुंचकर सारी यादें ताजा हो गई …गेंदे के फूल..तफरी में जामुन के पेड़ो पर चढ़ कर जमुना तोड़ना और भी बहुत कुछ। अपने शिक्षक मास्टर ओमप्रकाश और मास्टर रामेश्वर जी से मिला और उन्हें शॉल भेंट कर उनका सम्मान किया। मास्टर ओमप्रकाश जी हमारे मैथ्स टीचर थे। उन्ही की वजह से बोर्ड में 100 परसेंट नम्बर आये थे मैथ्स में। मेरे कुछ क्लासफेलो सुल्तान, सेवा सिंह, सतबीर, इन्दर, सत्यवान सरपँच, रामफल भी मिले।

Ips अशोक कुमार के स्वागत में उमड़ी भीड़

दोपहर का भोजन भी गाँव में ही ग्रहण किया। माता जी, अलकनंदा, कुहू और शाश्वत को भी गाँव का वह साधारण भोजन बहुत ही पसंद आया।

गाँव के प्राचीन मंदिर में सपरिवार पहुँचकर पूजा अर्चना की और गाँव की प्रसिद्ध एवं प्राचीन पहचान धौला दरवाजा पहुंचकर एतिहासिक विरासत के रुप में तस्वीर भी ली। गाँव के दरवाजे को लोगों ने खूब सजाया था, जिसमें गाँव की प्राचीन संस्कृति से जुड़ी हुई पहचान भी शामिल है।

हरियाणा में अपने घर पर Ips अशोक कुमार