जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार जिले के गांवों की सरकार का चुनाव विधानसभा—2022 के चुनाव के बाद में ही होगा। जब तक गांव की सरकार प्रशासकों के हवाले ही रहेंगे। गांवों के विकास कार्य प्रशासक ही कराते रहेंगे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा की राज्य सरकार जिला पंचायत के चुनाव में हार के कारण नहीं करा रही है। जानकारों का कहना है कि गांवों में बसपा की बढ़ती ताकत के चलते हुए भाजपा साहस नहीं जुटा पा रही है। कांग्रेस नेता तो गुटों में बटकर पार्टी का बंटाधार करने में लगे हुए हैं। उन्हें चुनाव हो या न हो, कोई फर्क नहीं पड़ता।
हरिद्वार जनपद में मार्च महीने में ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। मई महीने में जिला पंचायत का तो जून महीेने में ब्लॉक प्रमुखों का कार्यकाल समाप्त हो गया था। प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत तीनों ही प्रशासकों के हवाले कर दिए गए। अब राज्य सरकार ने हरिद्वार त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रशासकों का 6 माह के लिए कार्यकाल बढ़ा दिया है। इस संबंध में शासनादेश जारी किया गया। ग्राम पंचायतों के कार्यकाल समाप्ति पर ग्राम पंचायतों के कार्यभार ग्रहण करने की तिथि अथवा नई ग्राम पंचायतों के गठन तक जो भी पहले हो, से छः मास से अनधिक अवधि के लिए सम्बन्धित विकास खण्ड के सहायक विकास अधिकारी (पं०) को प्रशासक नियुक्त किए जाने हेतु जिलाधिकारी हरिद्वार को प्राधिकृत किया गया है, जिसके फलस्वरूप जनपद-हरिद्वार के सम्बन्धित विकास खण्ड के सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) सम्बन्धित ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा की सरकार हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में बसपा के बढ़ते जनाधार के चलते हुए हार जाने के डर से चुनाव नहीं करा रही है। भाजपा की सरकार एक रणनीति के तहत त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को विधानसभा—2022 के चुनाव के बाद कराने में मूड में है। जिला पंचायत के रणनीतिकार और पूर्व अध्यक्ष चौधरी राजेंद्र सिंह का कहना है कि भाजपा के नेता तानाशाही पर उतर गए है। लोकतंत्र का भी उपहास उड़ा रहे हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के लिए हाईकोर्ट में गए हुए हैं।