जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद को हराने में भाजपा के शीर्ष नेता का बड़ा हाथ रहा है। शीर्ष नेता ने बसपा नेता युनूस अंसारी को ऐन वक्त पर हायर करते हुए बसपा प्रत्याशी बनाया। जबकि पूर्व में बसपा का प्रत्याशी दर्शन लाल शर्मा था। इसी के साथ खनन कारोबारियों को कांग्रेस की सरकार बनने और प्रत्याशी अनुपमा रावत को सुपर सीएम बनने का भय दिखाते हुए कांग्रेस हित में काम करने को कहा गया। तीसरा भाजपा का एक बड़ा तबका स्वामी को हराने में लग गया। यही नहीं भाजयुमो, छात्र संगठन के पूर्व पदाधिकारी, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी और सदस्य भी स्वामी के बढ़ते कद को हजम नहीं कर रहे थे, इसलिए सभी ने विरोध में प्रचार किया। जिसका नतीजा निकला कि स्वामी कांग्रेस प्रत्याशी से 4472 वोटों से हार गए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार में नंबर दो की हैसियत से उभरे कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद का कद बहुत ही बढ़ गया था। भाजपा के नेता उनकी बढ़ती लोकप्रियता और कद से परेशान हो गए थे, उन्हें लग रहा था कि राजनीति में अब उनकी हैसियत स्वामी के सामने कुछ नहीं रहेगी। क्योंकि कार्यकर्ता स्वामी यतीश्वरानंद के साथ खड़े हो गए थे। भाजपा के एक धड़े ने स्वामी यतीश्वरानंद को घेरने की तैयारी चुनाव होने के चार महीने पहले ही शुरू कर दी थी, लेकिन स्वामी विरोधियों के मंसूबे नहीं जान सके और प्रदेश एवं जनता हित में दिन रात काम करते रहे।
किसान, मजदूर हो किसी भी धर्म का व्यक्ति स्वामी यतीश्वरानंद का अनुयायी हो गया था। अपना कद घटते देख भाजपा के शीर्ष नेता ने स्वामी यतीश्वरानंद को हराने के लिए रणनीति बनाते हुए भाजपा नेता दर्शन लाल शर्मा को बसपा प्रत्याशी बनवा दिया, लेकिन जैसे ही चुनावी समय नजदीक आने लगा तो स्वामी के विरोधी नेताओं को लगने लगा कि दर्शन लाल शर्मा उनके मंसूबे को कामयाब नहीं कर सकेगा, तो उन्होंने ऐन वक्त पर मुस्लिम समाज के युनूस अंसारी को बसपा से प्रत्याशी बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर दिए।
इसी के साथ ही चौहान गुट को सक्रिय करते हुए कह दिया गया कि यदि स्वामी यतीश्वरानंद तीसरी बार विधायक बन जाता है तो उनका वजूद समाप्त हो जाएगा और चौहान राजपूत समाज को कभी विधायक बनने का मौका नहीं मिलेगा। इसी को देखते हुए एक बड़ा धड़ स्वामी यतीश्वरानंद के खिलाफ मैदान में उतर गया, जबकि ये ही लोग स्वामी यतीश्वरानंद के साथ प्रचार प्रसार में भी जाते और रात को बनने वाली रणनीति में शामिल होते।

मुस्लिम समाज के लोगों ने दिया स्वामी को धोखा
स्वामी यतीश्वरानंद के दरबार में सभी धर्म के लोगों की खुली एंट्री थी। मुस्लिम समाज और दलितों का विशेष ख्याल रखते थे। हमेशा सामंजस्य की बात की। माहौल खराब नहीं होने दिया। स्वामी यतीश्वरानंद के दरबार में मुस्लिम समाज के नेता भरमार में रहते थे और अपने हितों के लिए निरंतर काम कराते रहे। सभी कॉलोनियों में सड़कों, पानी आदि की उचित व्यवस्था करवाई। वन गुर्जरों की बस्तियों में खूब काम कराया। प्रचार प्रसार के दिनों में भी स्वामी यतीश्वरानंद का भव्य स्वागत करते रहे, लेकिन वोट करते समय धोखा दे दिया।