जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार में महाकवि कविकुलगुरु कालिदास के मेघदूत काव्य की पंक्ति ‘‘आषाढस्य प्रथम दिवसे’ विषय को लेकर अखिल भारतीय संस्कृत विद्वद्गोष्ठी का आयोजन ऑनलाईन माध्यम से किया गया। महाकवि कालिदास विरचित मेघदूत खण्डकाव्य का आरम्भ दिवस आषाढ मास का पहला दिन कहा जाता है। आज आषाढ मास का पहला दिन है। अतः इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मेघदूत की ख्याति गीतिकाव्य के रूप है। इस काव्य को लेकर देश-विदेश में अनेक शोध हुए है। इस काव्य में कालिदास ने प्रकृति का मनोहर चित्रण किया है। यहॉं मेघ को दूत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस काव्य ने अनेक प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर किया है। कवि मेघ के द्वारा नायक के सन्देश को नायिका तक प्रेषित करना चाहता है, इस विषय को कवि ने बहुत सुन्दररूप में साहित्यिक विधा से मनोहर बनाया है। इस कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. रमाकान्त शुक्ल (नई दिल्ली), राष्ट्रपति सम्मानित प्रो. रहसबिहारी द्विवेदी जी (जबलपुर), राष्ट्रपति सम्मानित प्रो.वेद प्रकाश उपाध्याय चण्डीगढ, अध्यक्ष महाविद्यालय प्रबन्ध समिति, प्रो. बनमाली विश्वाल निदेशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय रघुनाथकीर्ति परिसर, देवप्रयाग, प्रो. सुकान्त सेनापति निदेशक मुक्त स्वाध्याय पीठ केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली, डॉ. नौनिहाल गौतम सागर विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश, डॉ. अरविन्द तिवारी बागपत उत्तरप्रदेश, डॉ. राजेन्द्र त्रिपाठी रसराज प्रयागराज उत्तरप्रदेश, डॉ. धर्मेन्द्र कुमार सिंहदेव प्राध्यापक केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, सदाशिव परिसर जगन्नाथपुरी उडीसा, योगेश विद्यार्थी प्रान्त संघटन मन्त्री हरिद्वार, डॉ. वेदव्रत संस्कृत विभाग गुरुकुल काँगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार, प्रो. रंजु कुमारी, डॉ. देवराज जी, डॉ. निरंजन मिश्र (महाविद्यालय प्राचार्य) डॉ। बी.के.सिंहदेव, डॉ. रवीन्द्र कुमार, डॉ. आशिमा श्रवण, डॉ. आलोक कुमार सेमवाल, डॉ. दीपक कोठारी, आदि ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त सैकडों संस्कृत प्रेमियों व महाविद्यालयों के छात्रों ने गूगल मीट के लिंक द्वारा जुडकर इस कार्यक्रम से लाभ उठाया।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश उपाध्याय ने सभी विद्वानों का अभिनन्दन व स्वागत करते हुए कहा कि आज आषाढ मास का प्रथम दिवस का है। मेघदूत के प्रथम पद्य में महाकवि कालिदास ने ‘‘आषाढस्य प्रथम दिवसे’ का उल्लेख किया। इस पंक्ति को आधार बनाकर यह गोष्ठी प्रवर्तित हो रही है। योगेश विद्यार्थी प्रान्त संघटन मन्त्री हरिद्वार ने उपस्थित सभी विद्वानों का वाचिक स्वागत किया और कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है कि उत्तराखण्ड में स्थित श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार द्वारा यह सुन्दर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इससे संस्कृत के प्रचार-प्रसार को नवीन गति मिलेगी। पद्मश्री राष्ट्रपति सम्मानित प्रो. रमाकान्त शुक्ल महोदय ने मेघदूत के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालते हुए आषाढस्य प्रथमदिवसे के महत्व पर प्रकाश डालते हुए विविध तर्कों द्वारा एतद्विषयक समस्याओं का पूर्ण समाधान किया। निश्चित ही इससे संस्कृत पठने वाले तथा संस्कृत से प्रेम रखने वाले लोग लाभान्वित होंगे। इनकी प्रवाहमयी एवं सरस भाषा ने सभी को आह्लादित किया। राष्ट्रपति सम्मानित प्रो. रहस बिहारी द्विवेदी ने मेघदूत को लेकर उन तथ्यों को उजागर किया जो तथ्य व्याख्या ग्रन्थों में उपलब्ध नहीं हो पाते है। आषाढ का महत्व और उसका प्रतिपादन साहित्य की अपनी शैली में इन्होंने किया। प्रो. वनमाली विश्वल जी ने प्रस्तुत विषय को लेकर अपनी कविता प्रस्तुत की और सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया। प्रयागराज से प्रो. रसराज जी ने अपनी अलौकिक प्रवाहमयी भाषा से मेघदूत के पौराणिक तथ्यों को प्रमाणित करते हुए पद्मपुराण की गाथा सुनायी और महाकविकालिदास के कवित्व को सहृदयों के समक्ष उपस्थापित किया। प्रो. नौनिहाल गौतम व प्रो. धर्मेंन्द्र सिहंदेव ने अपने वैदुष्यपूर्ण शोध पत्र मेघदूत को अधिकृत कर प्रस्तुत किये। डॉ. अरविन्द तिवारी ने कविता के माध्यम से सभा को मन्त्रमुग्ध कर दिया। डॉ. वेदव्रत, संस्कृत विभाग गुरुकुल काँगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार ने मेघदूत के पद्यों का गायन किया और अपनी कविता सुनाकर सभा को आनन्दित किया।
अन्त में महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष प्रो. प्रो. वेद प्रकाश उपाध्याय जी ने सभी वक्ताओं के कथनों का सारांश प्रस्तुत करते हुए सभी का पुनः अभिनन्दन किया और इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन के लिये धन्यवाद दिया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. निरंजन मिश्र ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन डॉ. बी.के.सिंहदेव तथा डॉ. रवीन्द्र कमार ने किया। शान्तिमन्त्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।