जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार संस्कृत के अध्ययन हेतु भारत वर्ष में विख्यात संस्था है। यहाॅ के छात्रा अनेक अखिल भारतीय प्रतियोगिताओं में प्रत्येक वर्ष भाग ग्रहण करते हैं। महाविद्यालय के छात्रा जहाॅ पर जाते हैं, वहाॅ उत्तराखण्ड का गौरव बढ़ाते हैं।
शुक्रवार को महाविद्यालय में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें हरिद्वार के गणमान्य संस्कृत के विद्वान् उपस्थित थे। 21.02.2021 को संस्कृत भारती वाराणसी उत्तरप्रदेश द्वारा आयोजित अखिल भारतीय शलाका परीक्षा आयोजित की गयी थी। जिसमें महाविद्यालय के छात्रा पंकज जोशी ने व्याकरण शलाका और कृष्णा कंसवाल ने वेदान्त दर्शन की शलाका परीक्षा में भाग ग्रहण किया था। इन दोनों छात्रों की वनारस के प्रसिद्ध संस्कृत पण्डितों ने शलाका परीक्षा ली, जिसमें महाविद्यालय के छात्रा पंकज जोशी ने प्रथम स्थान और कृष्णा कंसवाल ने सान्त्वना पुरस्कार प्राप्त किया। शलाका परीक्षा में जहाॅ से भी पुस्तक खुलती है, उसी स्थान से प्रश्न पूछे जाते हैं उन सभी प्रश्नों का सन्तोषजनक उत्तर पंकज जोशी और कृष्णा कंसवाल ने प्रदान कर उत्तराखण्ड का गौरव बढ़ाया है।
​विदित हो कि उत्तराखण्ड में संस्कृत द्वितीय राजभाषा है। यहाॅ भाषा अनेक संस्कृत के विश्वविद्यालय और महाविद्यालय हैं। उन सब में यह श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।
​बनारस संस्कृत के विद्वानों की नगरी है वहाॅ से पुरस्कार प्राप्त करना इन छात्रों की प्रतिभा को प्रदर्शित करता है। इन छात्रों के परिश्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि छोटी काशी हरिद्वार में भी संस्कृत का पठन पाठन होता है। आज महाविद्यालय में इन दोनों छात्रों के सम्मान हेतु कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. निरंजन मिश्र ने की। कार्यक्रम में श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डाॅ. भोला झा ने कहा कि महाविद्यालय के छात्रा अनेक स्थानों से प्रथम पुरस्कार प्राप्त करते रहे हैं, लेकिन मुझे असन्तोष था कि भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय के छात्रा वनारस में भी प्रथम आना चाहिए। आज महाविद्यालय के छात्रों ने यह स्वप्न पूर्ण कर दिया है। डाॅ. हरिगोपाल शास्त्राी ने कहा कि भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों ने हरिद्वार के संस्कृतज्ञों को गौरवान्वित कर दिया है। डाॅ. पद्मप्रसाद सुवेदी ने कहा कि जिन आदर्शाें के लिए इस महाविद्यालय की स्थापना की गयी थी, आज भी महाविद्यालय उन आदर्शों को पूर्ण कर रहा है।
कार्यक्रम में आशीर्वाद देने के लिए मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानन्द महाराज  भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि मैने सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया है परन्तु भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय जैसा पठन पाठन और अनुशासन कहीं नहीं देखा है। यह संस्था उत्तराखण्ड का अद्वितीय गौरव है। कार्यक्रम में योग विभाग के शिक्षक मनोज गिरि व छात्रा लता विष्ट को भी सम्मानित किया गया। इन दोनों ने योग के लिए किये गये। सराहनीय कार्यों के कारण नाट्यदीप फाउण्डेशन धामपुर बिजनौर में विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया है। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ. रवीन्द्र कुमार ने किया। इस अवसर पर डाॅ. मंजु पटेल, डाॅ आशिमा श्रवण, डाॅ. दीपक कोठारी, डाॅ आलोक सेमवाल, डाॅ. संयोगिता, हेमा विष्ट, नरेश कुमार, एकता, आर.एस.एस. के जिला बोध्कि प्रमुख राहुल कुमार, सागर झा, सोमनाथ आदि ने छात्रों को अपनी शुभकामनायें प्रदान की।