पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके रणनीतिकारों व सलाहकारों को क्या कहा जाए जिससे उन्हें पता चले कि आपका भारत विरोधी राग चीन को छोड़कर कोई सुनने वाला नहीं। अमेरिका जाने से पहले इमरान ने घोषणा की थी कि मैं दुनिया के नेताओं को बताऊंगा कि कश्मीर के क्या हालात हैं। वो बता भी रहे हैं, पर कौन किस तरह सुन रहा है यह ज्यादा महत्व का विषय है
दुनिया के प्रमुख नेता जान चुके हैं कि पाक के पास कश्मीर को छोड़ कोई एजेंडा नहीं। अपने विकास या दुनिया के कल्याण के लिए पाक के पास कोई सोच है नहीं। उनकी दशा देखिए। जब वे न्यूयॉर्क में उतरे तो उनकी आवभगत के लिए कोई स्थानीय अधिकारी तक नहीं था। कालीन का किस्सा तो जगजाहिर हो चुका है। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोदी हवाई अड्डे पर कुछ अधिकारियों को लेकर आई थीं। लेकिन मोदी के आगमन पर क्या हुआ इसे सबने देखा।
इमरान और ट्रंप की मुलाकात
इमरान खान और ट्रंप की मुलाकात ऐसी थी कि आज पाकिस्तानी ही कह रहे हैं कि इससे अच्छा तो मुलाकात ही नहीं होती। पाकिस्तान मीडिया में इस पर बहस चल रही है कि अब हमारे पास रास्ता क्या है? इमरान ने जब भारत की शिकायत की तो ट्रंप ने स्पष्ट कहा, ‘मैं पाकिस्तान की मदद कर सकता हूं, लेकिन तभी जब नरेंद्र मोदी भी तैयार हों।’ ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि पहले के अमेरिकी राष्ट्रपतियों को पाकिस्तान पर विश्वास नहीं था। उन्होंने आपके साथ जो व्यवहार किया वो ठीक ही किया, क्योंकि पाकिस्तान से अमेरिका को केवल धोखा मिला है।
जब पाकिस्तानी पत्रकार ने पाक की वकालत की
जब एक पत्रकार ने कश्मीर पर प्रश्न में पाकिस्तान की वकालत की तो ट्रंप ने इमरान से पूछ दिया कि यह पाक प्रतिनिधिमंडल का सदस्य है क्या? एक अन्य पाकिस्तानी पत्रकार ने कश्मीर में मानवाधिकार के हनन, वहां भोजन-दवा की कमी जैसी बातें करते हुए पूछा कि अमेरिका क्या करेगा तो फिर ट्रंप ने इमरान से पूछा कि ऐसे पत्रकार कहां से लाते हैं आप? इमरान झेंप गए। डोनाल्ड ट्रंप वैसे भी पाक के प्रति कभी उदार नहीं थे। किंतु तालिबान से बातचीत कर अफगानिस्तान से निकल भागने की जल्दी में उन्होंने उसे महत्व देना शुरू किया था। अब आगे उनका क्या रवैया होगा कहना कठिन है, लेकिन इतना साफ है कि उनका झुकाव भारत की तरफ होगा।
साक्षात्कार में इमरान को स्वीकार करना पड़ी सच्चाई
ट्रंप ने पहले भी कहा था कि पाकिस्तान ने धोखा देकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों से 33 अरब डॉलर ले लिया। इमरान से मुलाकात में भी उन्होंने यह भी दोहराया कि जिन राष्ट्रपतियों ने आपकी सहायता रोकी वो आपकी असलियत जान चुके थे और उन्होंने ठीक ही किया। इससे ज्यादा लताड़ किसी देश के प्रधानमंत्री के लिए क्या हो सकती है। इमरान उनके सामने सहमे बैठे थे। एक साक्षात्कार में इमरान से पूछा गया कि ओसामा बिन लादेन वहां छिपा हुआ था तो पाकिस्तान को कैसे पता नहीं चला? कई कड़े प्रश्न उनसे पूछे गए। ऐसा लगा मानो उनका इंटरव्यू नहीं इंटेरोगेशन हो रहा है। इमरान को स्वीकार करना पड़ा कि लादेन के होने का सेना और आइएसआइ को पता था।
पाक ने आतंकवाद का एक पूरा ढांचा खड़ा किया
पता नहीं इमरान क्यों इस तरह के खुलासे बार-बार कर रहे हैं। पहले भी वे इस तरह की बातें कह चुके हैं, लेकिन यह आधा सच है। आधा सच यह है कि उसी का लाभ उठाकर पाकिस्तान ने आतंकवाद का एक पूरा ढांचा खड़ा कर लिया। पंजाब से कश्मीर तक उसी ढांचे के कारण आतंकवाद की इतनी घटनाएं हुईं। वे यह भी नहीं स्वीकारते कि अफगानिस्तान से बाहर आतंकवाद को रोकने के लिए पाकिस्तान ने कुछ नहीं किया, जबकि उनकी सेना और आइएसआइ को ज्यादातर बड़े हमलों का पता था।
चाहे वह 11 सितंबर 2001 का अमेरिका पर हमला हो या 26 नवंबर 2008 का मुंबई हमला। अगर पाकिस्तान की ओर से इन्हें मदद नहीं मिलती तो ये इतने हमले कभी नहीं होते। जब आप झूठ बोलेंगे तो आपकी समस्याएं बढ़ेंगी ही। यही हो रहा है। इमरान का दुर्भाग्य यह है कि निराशा के साथ अपमान व झिड़की तक मिल रही है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी का जलवा है कि भारत के साथ 71 द्विपक्षीय कार्यक्रम हैं जिनमें से 40 में वे स्वयं शामिल होंगे।