श्रीमहंत नरेंद्र गिरि को श्रदृधांजलि

जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद कई भू—कारोबारियों के करोड़ों रूपये डूब गए हैं। अब वे जांच के दायरे में भी फंसकर चिंता में डूबे हैं। जानकारों का कहना है कि हरिद्वार के ही करीब 20 करोड़ रूपये की देनदारी थी तो कई लोगों को श्रीमहंत ने रियल स्टेट कारोबारी बनाकर रईस भी बना दिया। हो सकता है कि उनके भी कुछ व्यापारियों या नेताओं पर करोड़ों हो। सत्ता में भी अच्छी दखल होने के चलते हुए दर्जाधारी भी बनवाएं तो उन पर चल रहे मामलों से बरी भी कराया। सत्ता किसी भी पा​र्टी की रही हो सभी के नुमाइंदे माथा टेकने के लिए दरबार में आते रहे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद नए—नए मामले सामने आ रहे हैं। अब सामने आया है कि हरिद्वार के कई भू—कारोबारियों या रियल स्टेट से जुड़े कई व्यापारियों की करोड़ों रुपये की देनदारी श्रीमहंत नरेंद्र गिरि पर सामने आ रही है। वे लगातार श्रीमहंत के संपर्क में थे और लगातार रुपये वापिस कराने या भूमि देने का दवाब बना रहे थे। अब ऐसे कारोबारियों के तो रुपये वापिस मिलने से रहे, क्योंकि संतों का लेनदेन उन्हीं पर निर्भर रहता है। हो सकता है कि निरंजन अखाड़े के सचिन श्रीमहंत रविंद्र पुरी को कुछ लेनदेन की जानकारी हो या उनके मध्यस्थ से लेनदेन हुआ हो। यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इस समय कारोबारियों से जो एसआईटी ने पूछताछ करनी शुरू की, इससे उनकी चिंता बढ़ गई है।
हालांकि हरिद्वार के साथ देश के कई व्यापारियों को उन्होंने फर्श से अर्श पर पहुंचाने का काम किया। कईयों के लिए तो वे दूधारू थे और उनके घर श्रीमहंत के रहमो करम पर चलते थे। जैसे एक गनर अभिषेक मिश्रा के पास ही करीब 50 से 80 करोड़ की अकूत सं​पत्ति संग्रह करने का मामला सामने आया है या छोटे महंत आलोक गिरि के कारनामे सामने आए है। देश विदेशों की यात्रा करने के दौरान लाखों रूपये खर्च करने कर दिए जाते थे। हालांकि अभी एसआईटी के साथ अब सीबीआई भी जांच के लिए लग गई है तो अनेकों के नाम सामने आएंगे।