जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। मौका था जिला पंचायत के शपथ ग्रहण का। जिला पंचायत के किंगमेकर बनकर उभरे पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के होर्डिंग, बैनर, पोस्टरों से पूरा जिला के बोर्ड भर गए। शपथ ग्रहण के पंडाल में भी स्वामी के नारों से पंडाल गूंज उठा। जनपद का हर कोई व्यक्ति स्वामी यतीश्वरानंद के गुणगान और उनके कार्यों की चर्चा करता मिला।
जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुखों का बोर्ड निर्विरोध गठन कराने में शुरूआत की रणनीति तैयार करने में विशेष भूमिका निभाकर पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद किंगमेकर के किरदार की भूमिका में सामने आए हैं। शपथ ग्रहण में शामिल हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा कि सहयोग एक—एक मतदाता, कार्यकर्ता का होता हैं, लेकिन जो उन्हें रास्ता दिखाता है या उनका नेतृत्व करता है वह असली योद्धा होता है। उन्होंने बिना नाम लिए स्वामी यतीश्वरानंद की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब जिला हरिद्वार को आदर्श जिला बनाने की भी जिम्मेदारी निवर्हन करनी होगी।
हरिद्वार जनपद का गठन 28 दिसंबर सन 1988 को हुआ था। जिला पंचायत हरिद्वार का गठन होने पर पहला चुनाव सन 1995 में हुआ था। जिसके निर्वाचित अध्यक्ष बहुजन समाज पार्टी के नेता चौधरी राजेंद्र सिंह बने थे। सन 2000 में उत्तराखंड प्रदेश का अलग से गठन हुआ तो प्रदेश में सरकार कभी कांग्रेस की तो कभी भाजपा की बनती रही, लेकिन जिला पंचायत हरिद्वार में भाजपा का बोर्ड नहीं बन सका। अब उत्तराखंड में 2022 में भाजपा की लगातार दूसरी बार सरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में बनीं और हरिद्वार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हुए। चुनाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विकास नीतियों पर लड़ा गया। चुनाव की समस्त जिम्मेदारी पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के कंधों पर आ गई। प्रत्याशियों को जिताने के लिए स्वामी यतीश्वरानंद ने जी—तोड़ रात दिन मेहनत की। उनकी मेहनत का परिणाम यह निकलकर सामने आया कि जनपद में 14 जिला पंचायत सदस्य जीतकर आए, लेकिन जैसे ही चुनाव परिणाम आया तो निर्दलीयों के साथ अन्य पार्टियों के सदस्य भी भाजपा में शामिल हो गए।
भाजपा में जिला पंचायत सदस्य 38 शामिल हो गए तो अन्य में से भी कई सदस्यों ने भाजपा के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह उर्फ चौधरी किरण सिंह और उपाध्यक्ष अमित चौहान समर्थन दे दिया। एक तरफा सदस्यों के आने से जिला पंचायत में विपक्ष के मंसूबे धराशायी हो गए।
जिला पंचायत में अध्यक्ष राजेंद्र सिंह और उपाध्यक्ष अमित चौहान के सामने विपक्षी दलों के प्रत्याशी नामांकन पत्र खरीदने तक की हिम्मत नहीं जुटा सके थे। यहां तक की कोई भी पार्टी प्रत्याशी घोषित नहीं कर सकी। सभी ने स्वामी यतीश्वरानंद की रणनीति के सामने सरेंडर कर दिया।
यही हाल ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में हुआ। जनपद के समस्त 6 ब्लॉकों के बीडीसी सदस्य पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के प्रयास से भाजपा में शामिल हो गए तो शेष बचे सदस्यों ने समर्थन दे दिया। जिसका नतीजा ये यह हुआ सभी 6 ब्लॉकों में भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए।
जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुखों के सभी प्रत्याशी निर्विरोध चुने जाने पर पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और जनपदवासियों के एक—एक व्यक्ति को दिया है। उनका कहना है कि भाजपा की विकास की नीतियों के बल पर यह संभव हुआ।