जोगेंद्र मावी, ब्यूरो
हरिद्वार। हरिद्वार में महाकुम्भ के पावन पर्व पर माँ भागीरथी के पावन तट (नीलधारा) पर परम पूज्य सद्गुरुदेव ब्रह्मऋषि विश्वात्मा बावरा महाराज के प्रिय शिष्य परम तपस्वी विश्वविख्यात संत डॉ. दिनेश्वरानंद को प्राचीन ऋषियों की वैदिक ब्रह्मऋषि संन्यास परम्परा का माँ गंगा, अग्नि एवं संतों को साक्षी मानते हुए अंगीकार । वर्तमान समय में आप आखिल भारतीय संत समिति पंजाब के अध्यक्ष हैं।
अंतर्राष्ट्रीय ब्रह्मऋषि मिशन के संस्थापक गुरुदेव स्वामी ब्रह्मऋषि विश्वात्मा बावरा महाराज के आशीर्वाद एवं संकल्प से ब्रह्मवादिनी स्वामी कृष्णकांता महाराज द्वारा स्वामी डॉ. दिनेश्वरानंद महाराज ने संन्यास दीक्षा प्राप्त की। स्वामी डॉ. दिनेश्वरानंद महाराज काशी विश्वविधालय बनारस से पीएचडी किए हुए हैं। अब उनका ध्येय सनातन धर्म, सभ्यता, संस्कार को वैज्ञानिक तरीक़े से जन जन तक पहुँचाने का है।
इस पुण्य अवसर पर दिव्य सान्निध्य अन्तर्राष्ट्रीय ब्रह्मर्षि मिशन की अध्यक्ष तथा देश-विदेश से पधारे अनेक संतों ने उपस्थित होकर आशीर्वाद दिया। इस मौक़े पर जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने अंगवस्त्र भेंटकर स्वामी डॉ. दिनेश्वरानंद को आशीर्वाद दिया।
संन्यास लेने के दौरान डॉ. दिनेश्वरानंद ने कहा कि आज विश्व की युवा पीढ़ी को धर्म के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाने की आवश्यकता है और मैं इस कार्य को पुरा करूं इसके लिय महान संत मुनियों के आशीर्वाद चाहिए।
इस मौक़े पर मिशन से डा. मनीषा महाराज, महामंडलेश्वर उमाकांतानंद सरस्वती महाराज, स्वामी ज्ञानानंद जी, स्वामी मुक्तानंद महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानंद सरस्वती महाराज, आचार्य आदर्श महाराज, सतपाल ब्रह्मचारी महाराज, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद महाराज, स्वामी राजेन्द्र दास महाराज, महामंडलेश्वर बलदेव दास महाराज, महामंडलेश्वर जासदेवा नंद जी महाराज एवं अरुण दास समेत बड़ी संख्या में संत, महंत, एवं 12 अखाड़ों के अनुयायी शामिल हुए।